11 June 2021 Current Affairs

CURRENT AFFAIRS – 11th JUNE 2021
कृषि मशीनीकरण – एक अनिवार्य परिवर्तन
भारत सरकार ने कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) योजना के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए कृषि मशीनीकरण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों जैसे कस्टम हायरिंग केंद्र, फार्म मशीनरी बैंक, हाईटेक हब की स्थापना और विभिन्न कृषि मशीनरी आदि के वितरण के लिए विभिन्न राज्यों को धन जारी किया है।
कृषि मशीनीकरण भूमि, जल ऊर्जा संसाधनों, जनशक्ति और बीज, उर्वरक, कीटनाशकों आदि जैसे अन्य इनपुट को उपयोग के अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि उपलब्ध कृषि योग्य क्षेत्र की उत्पादकता अधिकतम की जा सके और ग्रामीण युवाओं के लिए कृषि को अधिक लाभदायक और आकर्षक व्यवसाय बनाया जा सके। कृषि मशीनीकरण कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए प्रमुख प्रेरकों में से एक है। सतत कृषि मशीनीकरण में पर्याप्त नवीनतम प्रौद्योगिकी से समर्थित उपयुक्त और सटीक कृषि मशीनरी की आवश्यकता होगी।
एसएमएएम योजना के अंतर्गत 2014-15 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा मध्य प्रदेश को 288.24 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है
वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा आंध्र प्रदेश को 621.23 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है
वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश को 294.74 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा पश्चिम बंगाल को 53.81 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है
कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन के बारे में (एसएमएएम)
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने छोटे और सीमांत किसानों और कम कृषि शक्ति की उपलब्धता वाले क्षेत्रों तथा दुर्गम क्षेत्रों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से 2014-15 में कृषि मशीनीकरण पर एक उप-मिशन (एसएमएएम) शुरू किया। कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए उन्नत कृषि उपकरण और मशीनरी आधारित आधुनिक कृषि के लिए आवश्यक जानकारी है जो मानव परिश्रम और खेती की लागत को कम करने के अलावा फसलों की उत्पादकता को बढ़ाते हैं। मशीनीकरण से किसानों की आय और कृषि अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिए कृषि क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक माने जाने वाले अन्य इनपुट की उपयोग दक्षता में सुधार करने में भी मदद मिलती है। देश में कृषि मशीनीकरण को मजबूत करने तथा और अधिक समग्रता लाने के उद्देश्य से कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि छोटे और खंडित जोत और व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण बड़े आकार की प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं को संतुलित करने के लिए ‘कस्टम हायरिंग केंद्रों’ और ‘उच्च मूल्य की मशीनों के उच्च-तकनीक हब’ को बढ़ावा दिया जाए, प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा हो और देश भर में बने निर्दिष्ट परीक्षण केंद्रों पर कृषि मशीनों के प्रदर्शन, परीक्षण और प्रमाणन को सुनिश्चित किया जा सके।
महत्वपूर्ण तथ्य: देश भर में स्थित नामित परीक्षण केंद्रों पर मशीनों का प्रदर्शन परीक्षण (performance testing) और प्रमाणन कृषि मशीनरी की गुणवत्ता, प्रभावशीलता और दक्षता सुनिश्चित कर रहा है।
राज्यों और अन्य कार्यान्वयन संस्थानों को इस योजना के तहत 2014-15 से 2020-21 के दौरान, 4556.93 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है।
अब तक, 13 लाख से अधिक कृषि मशीनों का वितरण किया जा चुका है और 27.5 हजार से अधिक कस्टम हायरिंग संस्थान स्थापित किए गए हैं।
वर्ष 2021-22 में कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन के लिए 1050 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।
SOURCE-PIB
भारतीय आम संवर्धन कार्यक्रम बहरीन में आरंभ
आज बहरीन में सप्ताह भर चलने वाला भारतीय आम संवर्धन कार्यक्रम आरंभ हुआ जहां खिरसापति एवं लक्ष्मणभोग (पश्चिम बंगाल) तथा जर्दालु (बिहार) की तीन भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित किस्मों सहित आम की 16 किस्में प्रदर्शित की जा रही हैं।
इन आमों की किस्मों को वर्तमान में बहरीन में ग्रुप के 13 स्टोरों के जरिये बेचा जा रहा है। इन आमों को अपीडा पंजीकृत निर्यातक द्वारा बंगाल एवं बिहार से प्राप्त किया गया था।
अपीडा गैर-पारंपरिक क्षेत्रों तथा राज्यों से आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाता रहा है। अपीडा आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकों तथा उत्सवों का आयोजन करता रहा है। हाल ही में, इसने जर्मनी के बर्लिन में आम महोत्सव का आयोजन किया था।
दक्षिण कोरिया को आम का निर्यात बढ़ाने की एक कोशिश में अपीडा ने सियोल स्थित भारतीय दूतावास और कोरिया के इंडियन चैंबर ऑॅफ कॉमर्स के सहयोग से पिछले महीने एक वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया।
वर्तमान में जारी कोविड 19 महामारी के कारण, निर्यात संवर्धन कार्यक्रमों का वास्तविक रूप से आयोजन किया जाना संभव नहीं था। अपीडा ने भारत एवं दक्षिण कोरिया के आम के निर्यातकों एवं आयातकों को एक मंच उपलब्ध कराने के लिए एक वर्चुअल बैठक के आयोजन की अगुआई की।
इस सीजन में पहली बार, भारत ने हाल ही में, आंध्र प्रदेश के कृष्णा एवं चित्तूर जिलो के किसानों से प्राप्त भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित बनगनापल्ली तथा दूसरी किस्म सुवर्णरेखा आमों की 2.5 मीट्रिक टन (एमटी) की एक खेप निर्यात की है।
दक्षिण कोरिया को निर्यात किए गए आमों को आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित अपीडा की सहायता प्राप्त एवं पंजीकृत पैकहाउस एवं वैपर हीट ट्रीटमेंट फैसिलिटी से उपचारित, साफ तथा लदान किया गया और उसका निर्यात इफको किसान एसईजेड (आईकेएसईजेड) द्वारा किया गया।
भारत में आम को ‘फलों का राजा‘ कहा जाता है तथा प्राचीन ग्रंथों में इसे कल्पवृक्ष के नाम से संदर्भित किया जाता है। वैसे तो भारत में अधिकांश राज्यों में आमों के बागान हैं, पर उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों की फल के कुल उत्पादन में बड़ी हिस्सेदरी है। अल्फोंसो, केसर, तोतापुरी तथा बनगनपल्ली भारत की अग्रणी निर्यात किस्में हैं। आमों का निर्यात मुख्य रूप से तीन रूपों में होता है: ताजे आम, आम का गूदा और आम के स्लाइस।
आमों को अपीडा पंजीकृत पैकहाउस सुविधा केंद्रों द्वारा प्रोसेस किया जाता है और उसके बाद मिडल ईस्ट, यूरोपीय संघ, जापान तथा दक्षिण कोरिया सहित विभिन्न क्षेत्रों तथा देशों में निर्यात किया जाता है।
भारतीय आम
आम अत्यंत उपयोगी, दीर्घजीवी, सघन तथा विशाल वृक्ष है, जो भारत में दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक (3,000 फुट की ऊँचाई तक) तथा पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक, अधिकता से होता है। अनुकूल जलवायु मिलने पर इसका वृक्ष 50-60 फुट की ऊँचाई तक पहुँच जाता है। वनस्पति वैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार आम ऐनाकार्डियेसी कुल का वृक्ष है। आम के कुछ वृक्ष बहुत ही बड़े होते हैं।
भारत का आम, मैंजीफ़ेरा इंडिका, जो यहाँ, बर्मा और पाकिस्तान में जगह जगह स्वयं (जंगली अवस्था में) होता है, बर्मा-आसाम अथवा आसाम में ही पहले पहल उत्पन्न हुआ होगा। भारत के बाहर लोगों का ध्यान आम की ओर सर्वप्रथम संभवत: बुद्धकालीन प्रसिद्ध यात्री, हुयेनत्सांग (632-45,) ने आकर्षित किया।
प्रजातियाँ
भारत में उगायी जाने वाली आम की किस्मों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, फज़ली, बम्बई ग्रीन, बम्बई, अलफ़ॉन्ज़ो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू हैं। नई किस्मों में, मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल तथा दशहरी-५१ प्रमुख प्रजातियाँ हैं। उत्तर भारत में मुख्यत: गौरजीत, बाम्बेग्रीन, दशहरी, लंगड़ा, चौसा एवं लखनऊ सफेदा प्रजातियाँ उगायी जाती हैं।
प्रमुख किस्में राज्य किस्में
बिहार बम्बईया, गुलाब ख़ास, मिठुआ, मालदा, किशन भोग, लंगड़ा, दशहरी, फजली, हिमसागर, चौसा, आम्रपाली।
गुजरात अल्फान्सो, केसर, राजापुरी, जमादार।
महाराष्ट्र अल्फान्सो, केसर, पियरी, मनकुर्द, मलगोवा।
पश्चिम बंगाल हिमसागर, मालदा, फजली, किशनभोग, लखनभोग, रानी पसंद, बम्बई आम्रपाली।
बात हापुस की करें तो, हाफुस (अंग्रेजी में ALPHANSO अलफांसो) , मराठी में हापुस, गुजराती में हाफुस और कन्नड़ में आपूस के नाम से जाना जाता है. यह आम की एक किस्म है जिसे मिठास, सुगंध और स्वाद के मामले में अक्सर आमों की सबसे अच्छी किस्मों में से एक माना जाता है
SOURCE-PIB
रूस के साथ संयुक्त अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम के तहत संयुक्त अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण परियोजनाओं को शुरू करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित तीन भारतीय छोटे से लेकर मध्यम उद्यमों / स्टार्ट-अप का चयन किया गया है।
चयनित कंपनियों में से दो – प्रान्ते सॉल्यूशंस और जेयन इम्प्लांट्स को अनुसंधान एवं विकास की संयुक्त परियोजनाओं के तहत वित्त पोषित किया जा रहा है और तीसरी कंपनी, अनन्या टेक्नोलॉजीज, को रूस से प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए वित्त पोषित किया गया है।
प्रान्ते सॉल्यूशंस को डिस्पोजेबल कार्ट्रिज पर आधारित मल्टीप्लेक्स इम्यूनोफ्लोरेसेंस एनालिसिस नाम की एक तकनीक द्वारा संधिवात गठिया या रूमटॉइड आर्थ्राइटिस (आरए) के देखभाल संबंधी निदान के त्वरित बिंदु के लिए एक प्लेटफार्म के विकास के लिए वित्त पोषित किया जा रहा है। इस कंपनी का लक्ष्य एलिसा-आधारित सीरोलॉजिकल डायग्नोसिस से जुड़ी कठिनाइयों को दूर करते हुए रूमटॉइड आर्थ्राइटिस (आरए) की तेजी से पहचान के लिए एक पोर्टेबल पॉइंट-ऑफ-केयर तकनीक सृजित करना है।
जेयन इम्प्लांट्स को दिया जाने वाला समर्थन कृत्रिम प्रौद्योगिकियों के विकास और हाथ एवं पैर के जोड़ों, उसके बगल के जोड़ों, बड़े जोड़ों के साथ ही दंत प्रत्यारोपण के लिए सिरेमिक एंडोप्रोस्थेस के निर्माण में मदद करेगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य रूमटॉइड आर्थराइटिस, अपक्षयी घावों, चोट और ऊपरी अंगों के जोड़ों के आर्थ्रोसिस के रोगियों के लिए अनूठे एवं नवीन चिकित्सा उपकरणों का निर्माण और व्यावसायीकरण करना है।
अनन्या टेक्नोलॉजीज को अपने रूसी समकक्ष के साथ इंटीग्रेटेड स्टैंडबाय इंस्ट्रूमेंट सिस्टम और उससे जुड़े जांच उपकरण के संयुक्त विकास के लिए वित्त पोषित किया जा रहा है।
भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार और फाउंडेशन फॉर असिस्टेंस टू स्माल इनोवेटिव इंटरप्राइजेज (एफएएसआईई) की एक संयुक्त पहल है। भारतीय पक्ष की ओर से, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की तरफ से इस कार्यक्रम को लागू कर रहा है।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने जोर देकर कहा कि भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम हमारे प्रधानमंत्री की “आत्मनिर्भर भारत” नीति के अनुरूप है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और रूसी संघ के फाउंडेशन फॉर असिस्टेंस टू स्माल इनोवेटिव इंटरप्राइजेज (एफएएसआईई) द्वारा वित्त पोषित की जा रही संयुक्त रूप से चयनित परियोजनाएं दोनों देशों के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में आपसी संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतरराष्ट्रीय प्रभाग के प्रमुख श्री एस.के. वार्ष्णेय ने कहा कि ये परियोजनाएं भारत और रूस के बीच नए सिरे से द्विपक्षीय सहयोग प्रदान करेंगी और तकनीकी-उद्यमी सहयोग और अन्य उद्यमियों को साथ मिलकर काम करने के साझा आधार तलाशने के लिए प्रेरित करेंगी।भारत-रूस संयुक्त प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं त्वरित व्यावसायीकरण कार्यक्रम जुलाई 2020 में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत और रूस के बीच एक द्विपक्षीय पहल के रूप में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत प्रथम आमंत्रण पर कई संयुक्त प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से तीन प्रस्तावों को एक कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद वित्त पोषण के लिए चुना गया है।
SOURCE-PIB
देहिंग पटकाई
असम सरकार ने देहिंग पटकाई (Dehing Patkai) को एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया है जो असम घाटी के उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वनों का अंतिम शेष भाग था।
देहिंग पटकाई (Dehing Patkai)
देहिंग पटकाई एक 234.26 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है। यह असम के डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों को कवर करता है। यह एक प्रमुख हाथी निवास स्थान है। इसने तितलियों की 310 प्रजातियाँ पाई है। इस पार्क में सरीसृप और स्तनधारियों की 47 प्रजातियां भी शामिल हैं, जिनमें बाघ और तेंदुए शामिल हैं। यह डिगबोई वन प्रभाग के सोराइपुंग रेंज (Soraipung Range) और डिब्रूगढ़ वन प्रभाग के जेपोर रेंज (Jeypore Range) द्वारा प्रशासित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
यह अधिसूचना असम के कोकराझार जिले में रायमोना राष्ट्रीय उद्यान की घोषणा के बाद आई है।
असम अब भारत में तीसरा सबसे ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान (7) वाला राज्य बन गया है।
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 12 राष्ट्रीय उद्यान हैं और इसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 9 राष्ट्रीय उद्यान हैं।
राष्ट्रीय उद्यान
राष्ट्रीय उद्यान (national park) ऐसा उद्यान या अन्य क्षेत्र होता है जिसे किसी राष्ट्र की प्रशासन प्रणाली द्वारा औपचारिक रूप से संरक्षित करा गया हो। अलग-अलग देश अपने राष्ट्रीय उद्यानों के लिए अलग-अलग नीतियाँ रखते हैं लेकिन लगभग सभी में क्षेत्रों के वन्य जीवन को आने वाली पीढ़ीयों के लिए संरक्षित रखना एक मुख्य ध्येय होता है।टोबेगो पर स्थित और सन् 1776 में स्थापित टोबेगो मुख्य पहाड़ी वन संरक्षित क्षेत्र विश्व का सबसे पहला राष्ट्रीय उद्यान माना जाता है।
भारत में कितने राष्ट्रीय उद्यान है
जुलाई 2018 तक ले, कुल 104 नेशनल पार्क सभ के तहत 40,501 किमी2 (15,638 वर्ग मील) एरिया आवे, भारत के संरक्षित क्षेत्र सभ के श्रेणी II के तहत रहल आ भारत के कुल रकबा के 1.23% हिस्सा रहल।
1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है।
भारत के राष्ट्रीय उद्यान
स.न. | राष्ट्रीय उद्यान(NATIONAL PARK) | राज्य | स्थापना | एरिया (KM2) |
1 | पपीकोंडा नेशनल पार्क | आंध्र प्रदेश | 2008 | 1012.86 |
2 | राजीव गाँधी नेशनल पार्क | आंध्र प्रदेश | 2005 | 2.40 |
3 | श्री वेंकटेश्वर नेशनल पार्क | आंध्र प्रदेश | 1989 | 353.62 |
4 | कासू ब्रह्मनन्दा रेड्डी नेशनल पार्क | तेलंगाना | 1994 | 1.43 |
5 | महावीर हरिना वनस्थली नेशनल पार्क | तेलंगाना | 1994 | 14.59 |
6 | मृगवाणी नेशनल पार्क | तेलंगाना | 1994 | 3.60 |
7 | नामडफा नेशनल पार्क | अरुणांचल प्रदेश | 1983 | 1807.82 |
8 | मुलिंग नेशनल पार्क | अरुणांचल प्रदेश | 1986 | 483 |
9 | डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क | असम | 1999 | 340 |
10 | काजीरंगा नेशनल पार्क | असम | 1974 | 858.98 |
11 | मानस नेशनल पार्क | असम | 1990 | 500 |
12 | नेमरी नेशनल पार्क | असम | 1998 | 200 |
13 | ओरंग नेशनल पार्क | असम | 1999 | 78.81 |
14 | वाल्मीकि नेशनल पार्क | बिहार | 1989 | 335.65 |
15 | इंद्रावती नेशनल पार्क | छत्तीसगढ़ | 1982 | 1258.37 |
16 | कांगर घाटी नेशनल पार्क | छत्तीसगढ़ | 1982 | 200 |
17 | गुरु घासीदास नेशनल पार्क | छत्तीसगढ़ | 1981 | 1,440.71 |
18 | भगवन महावीर (मोल्लम) नेशनल पार्क | गोवा | 1992 | 107 |
19 | काला हिरण नेशनल पार्क | गुजरात | 1976 | 34.53 |
20 | गिर फ़ॉरेस्ट पार्क | गुजरात | 1975 | 258.71 |
21 | मरीन नेशनल पार्क, कच्छ की खाड़ी | गुजरात | 1982 | 162.89 |
22 | वंसड़ा नेशनल पार्क | गुजरात | 1979 | 23.99 |
23 | कलेसर नेशनल पार्क | हरयाणा | 2003 | 46.82 |
24 | सुल्तानपुर नेशनल पार्क | हरयाणा | 1989 | 1.43 |
25 | पिन वैली नेशनल पार्क | हिमांचल प्रदेश | 1987 | 675 |
26 | ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क | हिमांचल प्रदेश | 1984 | 754.4 |
27 | इंद्रकिला नेशनल पार्क | हिमांचल प्रदेश | 2010 | 104 |
28 | खीरगंगा नेशनल पार्क | हिमांचल प्रदेश | 2010 | 710 |
29 | सिंबलबारा नेशनल पार्क | हिमांचल प्रदेश | 2010 | 27.88 |
30 | दचीगम नेशनल पार्क | जम्मू और कश्मीर | 1981 | 141 |
31 | हीमिस नेशनल पार्क | जम्मू और कश्मीर | 1981 | 3350 |
32 | किश्तवर नेशनल पार्क | जम्मू और कश्मीर | 1981 | 425 |
33 | सलीम अली नेशनल पार् | जम्मू और कश्मीर | 1992 | 9.00 |
34 | बेटला नेशनल पार्क | झारखण्ड | 1986 | 226.33 |
35 | बंदीपुर नेशनल पार्क | कर्नाटक | 1974 | 874.2 |
36 | बनारघटा नेशनल पार्क | कर्नाटक | 1974 | 260.51 |
37 | कूदरेमुख नेशनल पार्क | कर्नाटक | 1987 | 600.32 |
38 | नगरहॉल (राजीव गाँधी)नेशनल पार्क | कर्नाटक | 1988 | 643.39 |
39 | अंशी नेशनल पार्क | कर्नाटक | 1987 | 417.37 |
40 | एरावीकुलम नेशनल पार्क | केरला | 1978 | 97 |
41 | मथीकेटन नेशनल पार्क | केरला | 2003 | 12.82 |
42 | पेरियार नेशनल पार्क | केरला | 1982 | 350 |
43 | साइलेंट वैली नेशनल पार्क | केरला | 1984 | 89.52 |
44 | अनामूडी शोला नेशनल पार्क | केरला | 2003 | 7.50 |
45 | पम्बादुम शोला नेशनल पार्क | केरला | 2003 | 1.32 |
46 | बांधवगढ़ नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1968 | 448.85 |
47 | कान्हा नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1955 | 940 |
48 | माधव नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1959 | 375.22 |
49 | मंडल पौधा गृह, नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1983 | 0.27 |
50 | पन्ना नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1981 | 542.67 |
51 | पेंच (प्रियदर्शिनी) नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1975 | 292.85 |
52 | संजय नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1981 | 466.88 |
53 | सतपुड़ा नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1981 | 585.17 |
54 | वन विहार नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 1979 | 4.45 |
55 | दिनासौर नेशनल पार्क | मध्य प्रदेश | 2010 | 0.8974 |
56 | चंदोलि नेशनल पार्क | महाराष्ट्र | 2004 | 317.67 |
57 | गुगामल नेशनल पार्क | महाराष्ट्र | 1987 | 361.28 |
58 | नवेगांव नेशनल पार्क | महाराष्ट्र | 1975 | 133.88 |
59 | संजय गांधी नेशनल पार्क | महाराष्ट्र | 1983 | 86.96 |
60 | ताडोबा नेशनल पार्क | महाराष्ट्र | 1955 | 116.55 |
61 | पेंच नेशनल पार्क | महाराष्ट्र | 1975 | 257.26 |
62 | केबुल लामज्व नेशनल पार्क | मणिपुर | 1977 | 40 |
63 | बल्फ़ाक्रम नेशनल पार्क | मेघालय | 1985 | 220 |
64 | नोकरेक नेशनल पार्क | मेघालय | 1986 | 47.48 |
65 | मूरलेन नेशनल पार्क | मिजोरम | 1991 | 100 |
66 | फांगफ़ुई नेशनल पार्क | मिजोरम | 1992 | 50 |
67 | टैंजकी नेशनल पार्क | नागालैंड | 1993 | 202.02 |
68 | भीतरकनिका नेशनल पार्क | ओडिशा | 1988 | 145 |
69 | सिमली पाल नेशनल पार्क | ओडिशा | 1980 | 845.70 |
70 | सरिस्का टाइगर रिजर्व | राजस्थान | 1982 | 273.80 |
70 | रणथम्बौर नेशनल पार्क | राजस्थान | 1980 | 282 |
72 | मुकुन्दरा हिल्स नेशनल पार्क | राजस्थान | 2006 | 200.54 |
73 | थार नेशनल पार्क | राजस्थान | 1992 | 3162 |
74 | केओलादेव नेशनल पार्क | राजस्थान | 1981 | 28.73 |
75 | कंचनजंगा नेशनल पार्क | सिक्किम | 1977 | 1784 |
76 | मुदुमलाई नेशनल पार् | तमिलनाडू | 1990 | 103.24 |
77 | मुकुरथी नेशनल पार्क | तमिलनाडू | 1990 | 78.46 |
78 | इंदिरा गांधी वन्यजीव संरक्षण एवं नेशनल पार्क | तमिलनाडू | 1989 | 117.10 |
79 | ग्यूंडी नेशनल पार्क | तमिलनाडू | 1976 | 2.82 |
80 | मन्नार की खाड़ी, मरीन नेशनल पार्क | तमिलनाडू | 1980 | 6.23 |
81 | बिशन नेशनल पार्क | त्रिपुरा | 2007 | 31.63 |
82 | क्लाऊडेड लियोपर्ड नेशनल पार्क | त्रिपुरा | 2007 | 5.08 |
83 | दुधवा नेशनल पार्क | उत्तर प्रदेश | 1977 | 490 |
84 | गंगोत्री नेशनल पार्क | उत्तराखंड | 1989 | 2390.02 |
85 | गोविंद पशु विहार | उत्तराखंड | 1990 | 472.08 |
86 | जिम कार्बेट नेशनल पार्क | उत्तराखंड | 1936 | 520.82 |
87 | नंदा देवी नेशनल पार्क | उत्तराखंड | 1982 | 624.6 |
88 | राजाजी नेशनल पार्क | उत्तराखंड | 1983 | 820.42 |
89 | वैली ऑफ फ्लावर नेशनल पार्क | उत्तराखंड | 1982 | 87.5 |
90 | गोरूमरा नेशनल पार्क | पश्चिम बंगाल | 1992 | 79.45 |
91 | बक्सा टाइगर रिजर्व | पश्चिम बंगाल | 1992 | 117.10 |
92 | नियोरा वैली नेशनल पार्क | पश्चिम बंगाल | 1986 | 159.89 |
93 | सिंगलीला नेशनल पार्क | पश्चिम बंगाल | 1986 | 78.60 |
94 | जल्दापरा नेशनल पार्क | पश्चिम बंगाल | 2014 | 216.51 |
95 | सुंदरबन नेशनल पार्क | पश्चिम बंगाल | 1984 | 1330.10 |
96 | महात्मा गांधी मरीन नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1983 | 281.50 |
97 | मिडल बटन आईलैंड नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1987 | 0.44 |
98 | माउंट हैरियट नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1987 | 46.62 |
99 | नॉर्थ बटन आईलैंड नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1987 | 0.44 |
100 | रानी झांसी मरीन नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1996 | 256.14 |
101 | सैडल पीक नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1987 | 32.54 |
102 | साउथ बटन आईलैंड नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1987 | 0.03 |
103 | कैंपबेल बेय नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1992 | 426.23 |
104 | गलातया नेशनल पार्क | अंदमान और निकोबार | 1992 | 110 |
असम में राष्ट्रीय उद्यान
असम में पांच पुराने राष्ट्रीय उद्यान हैं जिनमें शामिल हैं-
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान,मानस राष्ट्रीय उद्यान,नामेरी राष्ट्रीय उद्यान,ओरंग राष्ट्रीय उद्यान,डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान इनमें काजीरंगा और मानस यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और बाघ अभयारण्य हैं। नामेरी और ओरंग को भी टाइगर रिजर्व नामित किया गया है।
SOURCE-GK TODAY
Master Plan Delhi 2041
Draft Master Plan of Delhi 2041 को अगले 45 दिनों के लिए सार्वजनिक जांच के लिए खुला रखा गया है। यह अगले दो दशकों तक दिल्ली के विकास के ब्लूप्रिंट के रूप में काम करेगा।
दस्तावेज़ किस पर केंद्रित है?
यह मास्टर प्लान दस्तावेज़ पर्यावरण और प्रदूषण से निपटने पर केंद्रित है। यह योजना निजी डेवलपर्स को पहली बार लैंड-पूलिंग योजना में पेशकश करने की भी अनुमति देती है। इसका लक्ष्य है:
दिल्ली को रहने योग्य और सुरक्षित बनाना
बेहतर आर्थिक अवसर प्रदान करना
सभी के लिए आवास की पेशकश करना। यह किफायती और किराये के आवास पर जोर देता है।
दिल्ली के पुराने क्षेत्रों का पुनर्विकास करना।
प्राकृतिक खतरों के लिए सुझाव
महामारी, भूकंप और बाढ़ के दौरान आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए, इसने संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने और दिल्ली आपदा प्रतिक्रिया बल स्थापित करने के लिए समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट का सुझाव दिया है।
उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के लिए योजना
एमपीडी 2041 में विकेंद्रीकृत कार्यक्षेत्र, खुले क्षेत्रों और सार्वजनिक स्थानों का निर्माण, बेहतर आवास डिजाइन और हरित-रेटेड विकास का प्रस्ताव है ताकि हवाई महामारी और ऐसी अन्य बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता को कम किया जा सके और यांत्रिक वेंटिलेशन सिस्टम पर निर्भरता को कम किया जा सके।
पृष्ठभूमि
Master Plan of Delhi 2041 के मसौदे की तैयारी 2017 में शुरू हुई थी। यह कार्य COVID-19 के बीच लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहा। यह योजना GIS आधारित होगी। इस प्रकार, प्रत्येक सेवा, भूमि उपयोग और बुनियादी ढांचे को डिजिटल रूप से मैप करने के बाद जोनल योजनाएं तैयार की गई हैं। इसे दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) ने तैयार किया है। यह एक ‘रणनीतिक’ और ‘सक्षम’ ढांचा है जो दिल्ली में विकास का मार्गदर्शन करेगा। इसे 1962, 2001 और 2021 की पिछली योजनाओं की खामियों को दूर करके तैयार किया गया है।
Global House Price Index 2021
हाल ही में Q1 (पहली तिमाही) 2021 के लिए नाइट फ्रैंक (Knight Frank) के ग्लोबल हाउस प्राइस इंडेक्स (Global House Price Index) के अनुसार, भारत वैश्विक घरेलू मूल्य सूचकांक में 12 स्थान नीचे चला गया है क्योंकि कोविड -19 महामारी के बीच भारत में संपत्ति की कीमत में गिरावट आई है।
मुख्य बिंदु
इस वर्ष, भारत को 55वें स्थान पर रखा गया है जबकि Q1 2020 के दौरान, भारत संपत्ति की कीमतों के मामले में 43वें स्थान पर था।
सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष
भारत में घर की कीमतों में साल-दर-साल आधार पर 6% की कमी आई है।
6-माह (Q3 2020-Q1 2021) और 3-महीने (Q4 2020-Q1 2021) में बदलाव के संदर्भ में, आवासीय कीमतों में क्रमशः 6% और 1.4% की वृद्धि हुई है।
अमेरिका ने 2005 के बाद से उच्चतम वार्षिक मूल्य वृद्धि दर देखी है। कीमतों में साल दर साल 2% की वृद्धि हुई है। 32% की कीमतों के साथ तुर्की वार्षिक रैंकिंग में सबसे ऊपर है।
तुर्की के बाद न्यूजीलैंड में संपत्ति की कीमतों में 1% और लक्ज़मबर्ग में 16.6% सालाना वृद्धि हुई है। 2021 की पहली तिमाही में स्पेन सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा। स्पेन में, घर की कीमतों में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
स्पेन के बाद कीमतों में 6% की गिरावट के साथ भारत का स्थान है।
हाउस प्राइस इंडेक्स (House Price Index – HPI)
HPI कुछ विशिष्ट प्रारंभ तिथि से प्रतिशत परिवर्तन के संबंध में आवासीय आवास के मूल्य परिवर्तन को मापता है।
SOURCE-GK TODAY
उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2019-2020
शिक्षा मंत्रालय ने “All India Survey on Higher Education” (AISHE) 2019-2020 का नवीनतम संस्करण जारी किया है। इस सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या बढ़कर 135 हो गई है, जो पिछले पांच वर्षों में 80% है।
सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष
इस सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या 2015 में 75 से बढ़कर 2020 में 135 हो गई है।
लैंगिक समानता सूचकांक में भी सुधार हुआ है।
2015 के बाद से PhD की संख्या में 60% की वृद्धि हुई है। 2019-20 में PhD करने वाले छात्रों की संख्या 03 लाख थी जबकि 2014-15 में यह 1.17 लाख थी।
शिक्षकों की संख्या 15,03,156 है।इनमें से 5% पुरुष हैं जबकि 42.5% महिलाएं हैं।
उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 2019-20 में 85 करोड़ है, जो 2018-19 में 3.74 करोड़ और 2014-15 में 3.42 करोड़ था।
AISHE सर्वेक्षण (AISHE Survey)
AISHE रिपोर्ट 2010-11 से शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की जा रही है। यह सर्वेक्षण भारत में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर प्रमुख प्रदर्शन संकेतक प्रदान करता है। इसमें शैक्षिक विकास के संकेतकों में संस्थान घनत्व, छात्र-शिक्षक अनुपात, सकल नामांकन अनुपात, लिंग समानता सूचकांक, प्रति छात्र व्यय, शिक्षकों की संख्या, छात्र नामांकन, परीक्षा परिणाम, कार्यक्रम, शिक्षा वित्त और बुनियादी ढांचे जैसे मापदंडों पर डेटा एकत्र किया जाता है।