23 May 2021 Current Affairs

सफेद मक्खियाँ/ व्हाइटफ्लाइज़
कपास की फसल में इन दिनों सफेद मक्खी का प्रकोप देखा जा रहा है। यह ऐसा कीट है जो कपास की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। इसके नुकसान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके प्रकोप से कपास की फसल को करीब 50 से 60 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। इसके अलावा कपास में कई अन्य कीटों का भी आक्रमण होता है जिससे कपास का उत्पादन प्रभावित होता है। इनमें चेपा, हरा तेला, चुरड़ा, मीली बग आदि है। सफेद मक्खी कीट की संख्या में बढ़ोतरी काफी तेजी से होती है और ये कीट फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए किसान को सफेद मक्खी कीट के प्रसार को रोकने की आवश्यकता है।
व्हाइटफ्लाइज़ Hemipterans / हेमीप्टेरान हैं, जो आम तौर पर पौधों की पत्तियों के नीचे की तरफ से खाद्य प्राप्त करती हैं। वह Aleyrodidae / एलेरोडिडे परिवार में शामिल हैं, जो सुपरफ़ैमिली Aleyrodoidea / एलेरोडोइडिया में एकमात्र परिवार है।
गर्म या उष्णकटिबंधीय जलवायु में और विशेष रूप से ग्रीनहाउस में, सफेद मक्खियाँ फसल सुरक्षा में बड़ी समस्याएँ पेश करती हैं।
यह एक बहुभक्षी कीट है जो कपास की प्रांरभिक अवस्था से लेकर चुनाई व कटाई तक फसल में रहता है। कपास के अलावा खरीफ मौसम में यह 100 से भी अधिक पौधों पर आक्रमण करती है। इस कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनो ही पत्तियों की निचली सतह पर रहकर रस चूसते हैं। प्रौढ़ 1-1.5 मि.मी. लम्बे, सफेद पंखों व पीले शरीर वाले होते हैं। जबकि शिशु हल्के पीले, चपटे होते हैं। ये फसल को दो तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। एक तो रस चूसने की वजह से, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।
दूसरा पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ छोडऩे की वजह से, जिस पर काली फफूंद उग जाती है। जो कि पौधे के भोजन बनाने की प्रक्रिया में बाधा डालती है। यह कीट कपास में मरोडिय़ा रोग फैलाने में भी सहायक है। इसका प्रकोप अगस्त-सितंबर मास में ज्यादा होता है। जिनसे पौधे की बढ़वार रुक जाती है और इसका असर उत्पादन पर पड़ता है।
सफेद मक्खी से कपास को हानि
यह पत्ती पर्ल वायरस रोग के प्रसार में एक वेक्टर के रूप में कार्य करती है और यह एक प्रवासी कीट है, जिससे इस पर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस कीट के अत्यधिक हमले से हरे कपास के पत्ते काले हो जाते हैं, इस प्रकार प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है और उपज और उत्पाद की गुणवत्ता में काफी कमी आती है।
SOURCE-THE HINDU
ऑपरेशन समुद्र सेतु II
भारतीय नौसेना द्वारा चलाए जा रहे कोविड राहत ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु – II’ के हिस्से के रूप में, आईएनएस जलाश्व ने 18 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक और 3650 ऑक्सीजन सिलेंडर और 39 वेंटिलेटर सहित अन्य महत्वपूर्ण कोविड चिकित्सा सामग्री ब्रुनेई और सिंगापुर से विशाखापत्तनम पहुंचाई हैं। 23 मई, 2021 को विशाखापत्तनम पहुंचे इस जहाज में मौजूद 18 में से 15 क्रायोजेनिक टैंक, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन से भरे हुए हैं।
भारतीय मिशनों द्वारा ऑक्सीजन कंटेनर और वेंटिलेटर सहित मत्वपूर्ण कोविड राहत सामग्री प्रदान की गई और विभिन्न राज्यों में सरकारी एजेंसियों गैर और सरकारी संगठनों को खेप सौंपी जा रही है।
SOURCE-PIB
वात्सल्य योजना
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वात्सल्य योजना (Vatsalya Yojana) की घोषणा की। इस योजना की घोषणा कोविड -19 के कारण अपने माता-पिता को खो चुके अनाथ बच्चों के लिए की गयी है।
मुख्य बिंदु
इस योजना के तहत, उत्तराखंड सरकार 21 वर्ष की आयु तक इन बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा एवं रोजगार हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगी। गौरतलब है कि राज्य के ऐसे अनाथ बच्चों को 3000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता भी दिया जाएगा। इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार इन अनाथों की पैतृक संपत्ति के लिए कानून भी बनाएगी जिसमें किसी को भी अपनी पैतृक संपत्ति को वयस्क होने तक बेचने का अधिकार नहीं होगा। यह जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह भी कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु कोविड-19 के कारण हुई है, उन्हें राज्य सरकार की सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा।
विश्व कछुआ दिवस
हर साल 23 मई को विश्व कछुआ दिवस (World Turtle Day) के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य कछुओं और दुनिया भर में उनके तेजी से गायब होते आवासों की रक्षा करना है। यह दिवस 2000 में American Tortoise Rescue द्वारा शुरू किया गया था। तब से यह दिवस दुनिया के सबसे पुराने जीवित सरीसृपों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल मनाया जाता है।
भारत में खतरे
तस्करी
भारत में कछुओं के सामने सबसे बड़ा खतरा तस्करी है। उन्हें हर साल बड़ी संख्या में पूर्वी एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों में तस्करी कर लाया जाता है। इन देशों में इनकी तस्करी की जाती है। जीवित नमूनों के अलावा, समुद्री कछुए के अंडों को खोदा जाता है और दक्षिण एशियाई देशों में व्यंजनों के रूप में बेचा जाता है। पश्चिम बंगाल राज्य कछुओं की तस्करी के केंद्र बिंदु के रूप में उभरा है। सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत में कछुए की तस्करी एक आकर्षक व्यवसाय के रूप में बनी हुई है।
अन्य खतरे
कई मानव निर्मित मुद्दों से कछुओं को भी खतरा है। प्रमुख खतरों में से एक आवास विनाश है। गंगा और देश की अन्य प्रमुख नदियों में पाए जाने वाले कछुए आवास विनाश का सामना कर रहे हैं क्योंकि ये नदियाँ तेजी से प्रदूषित हो रही हैं। समुद्री कछुए भी समुद्र और समुद्र तटों के प्रदूषण से पीड़ित हैं। प्लास्टिक खाकर हर साल कई कछुए मर रहे हैं।
SOURCE-GK TODAY
बी विद योग, बी एट होम
आयुष मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2021 उपलक्ष्य में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। इनमें से पांच वेबिनार की एक श्रृंखला है जिसे मंत्रालय “योग के साथ रहें, घर पर रहें” के व्यापक विषय के अंतर्गत आयोजित कर रहा है। देश के पांच प्रसिद्ध संगठनों के सहयोग से वर्तमान परिदृश्य के महत्व पर एक विशेष विषय पर एक-एक वेबिनार की प्रस्तुति देंगे। इस श्रृंखला का प्रथम बेविनार सोमवार, 24 मई को आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा “बाहरी संकट के बीच आंतरिक शक्ति की खोज” पर आयोजित किया जाएगा।
इन पांच महत्वपूर्ण वेबिनारों की इस श्रृंखला का उद्देश्य कोविड-19 के वर्तमान संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों से बड़ी संख्या में लोगों को अवगत कराना हैं। इस श्रृंखला के माध्यम से महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के लिए एक साझा समझ विकसित करने का भी प्रयास किया जाएगा, जो इन पांच संगठनों की अपनी विशिष्ट शिक्षण की परंपरा और सामूहिक अनुभव से प्राप्त ज्ञान पर आधारित है।
वर्तमान महामारी के कारण विशाल मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग सोमवार शाम 5 बजे से “बाहरी संकट के बीच आंतरिक शक्ति की खोज” पर वेबिनार प्रस्तुत करेगा। द आर्ट ऑफ लिविंग की अंतर्राष्ट्रीय संकाय के स्वामी पूर्णचैतन्य जी अपनी अंतर्दृष्टि साझा करेंगे। इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री पी. एन. रंजीत कुमार और एमडीएनआईवाई के निदेशक डॉ. ईश्वर वी. बसवरद्दी भी अपने विचार व्यक्त करेंगे।
SOURCE-PIB