8 March 2021 Current Affairs

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सभी योजनाओं को मिशन पोषण, 02, मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति की छत्रक योजनाओं के अंतर्गत श्रेणीबद्ध किया गया
हिला एवं बाल विकास मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के उद्देश्य से मंत्रालय की सभी प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों को मंत्रालय की तीन प्रमुख योजनाओं – मिशन पोषण 2.0, मिशन वात्सल्य और मिशन शक्तिके अंतर्गत श्रेणीबद्ध किया गया है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या में लगभग 67.7 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं। देश के समावेशी समतुल्य और दीर्घकालिक विकास के लिए महिलाओं और बच्चों का सशक्तिकरण और संरक्षण करने के साथ ही उनके सम्पूर्ण विकास को सुनिशिचित करना महत्वपूर्ण हो जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का हमेशा यह प्रयास रहता है कि बच्चों को उनके अच्छे ढंग से लालन-पालन के लिए सुरक्षित और आरामदेह परिवेश मिले। साथ ही महिलाओं को सभी प्रकार की हिंसा और भेदभाव से मुक्त सुगम, वहनीय और विश्वासयोग्य वातावरण में सशक्त बनाया जा सके। लैगिक समानता और बाल केन्द्रित कानूनों, नीतियों एवं कार्यक्रमों को तैयार करने के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय एकरूपता को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं और बच्चों के लिए राज्यों द्वारा उठाय जा रहे क़दमों में तालमेल की खाई को पाटना ही इस मंत्रालय का प्रमुख उद्देश्य है।
इन तीन छत्रक योजनाओं के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की अंतर्गत में निम्न लिखित किए गए है :
- सक्षम आंगनवाडी एवं पोषण छत्रक (अम्ब्रेला) आईसीडीएस-आंगनवाडी सेवाएं, पोषण अभियान, किशोरियों के लिए योजनाएं, राष्ट्रीय शिशुगृह (क्रेच) योजना
- मिशन बाल संरक्षण सेवाएं और बाल कल्याण योजनाएं
- मिशन शक्ति (महिलाओं के संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए मिशन)-संबल (एक ठहराव केंद्र, महिला पुलिस स्वयंसेवक, महिला हेल्पलाइन/स्वाधार/उज्ज्वला/विधवा आश्रय स्थल इत्यादि) सामर्थ्य (बेटीबचाओ, बेटी पढाओ, क्रेच, प्रधान मंत्री मातृ वन्दना योजना/लैंगिक बजट बनाना/शोध।
मिशन शक्ति महिला और बाल विकास की अन्य छत्रक (अम्ब्रेला) योजनाओं (जैसे मिशन पोषण 2.0 : मिशन वात्सल्य : और मिशन सक्षम – आंगनवाडी (जिसमें राष्टीय स्तर से पंचायत स्तर तक एक समान जानकारी सहित प्रशासनिक आधार शामिल है) के समावेशन के साथ चलाया जाएगा।
SOURCE –PIB
नीति आयोग 10 मार्च 2021 को दीर्घकालिक विकास लक्ष्य भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020 -21 जारी करेगा।
नीति आयोग 10 मार्च, 2021 को भारत दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) का तीसरा संस्करण जारी करेगा। पहली बार दिसम्बर 2018 में यह सूचकांक शुरू किया गया थाI यह अब देश में दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी करने का एक प्राथमिक साधन है और इसने केंद्र और राज्यों के बीच विकास की प्रतिस्पर्धा को आगे बढाया है।
नीति आयोग द्वारा प्रतिपादित एवं विकसित इस सूचकांक को इसके निर्माण की प्रक्रिया में शामिल मूल हितधारकों में केंद्र और राज्य सरकारें, भारत में संयुक्त राष्ट्र की कार्यरत संस्थाएं, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और अन्य प्रमुख मंत्रालय शामिल हैं।
यह सूचकांक वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अब तक राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर हुई प्रगति का मुल्यांकन करता है और यह स्थायित्व, दृढ़ता और सहयोग के संदेश को आगे बढाने में सफल रहा है। 2030 तक के लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अब तक एक तिहाई यात्रा कर चुके इन प्रयासों के बाद सूचकांक की यह रिपोर्ट सहभागिता के महत्व पर केन्द्रित है और इसका शीर्षक है : ‘’एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020-21 : सक्रियता के दशक में भागीदारी।’’
राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप यह सूचकांक 2030 एजेंडा के तहत वैश्विक प्राथमिकताओं की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। सूचकांक का मॉड्यूलर स्वभाव स्वास्थ्य और शिक्षा, लिंग, आर्थिक विकास, संस्थानों, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सहित लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्रगति के लिए एक नीतिगत साधन और दिग्दर्शक बन गया है। भारत के दीर्घकालिक विकास लक्ष्य में आवश्यक निवेश के लिए राज्यों द्वारा 15वें वित्त आयोग को अपनी आवश्कताएं बताए जाने के साथ ही यह सूचकांक अनेक दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों और भविष्य की संकल्पनाओं और योजनाओं के अतिरिक्त राज्य और जिला संकेतक रूपरेखा के विकास को प्रोत्साहित करके विभिन्न संस्थाओं की कार्यप्रणालियों की समीक्षा करते हुए में राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राप्ति में भी सफल रहा है।
SOURCE-PIB
गृह मंत्रालय ने देश में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए
देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं, जिनके लिए निर्भया कोष से वित्तपोषण किया गया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यौन हमलों के मामलों में समय से जांच पूरी करने सहित महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के प्रति राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को संवेदनशील बनाने के लिए एक अलग महिला सुरक्षा इकाई की स्थापना भी की है।
यौन हमलों के घृणित मामलों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए भारत सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2018 के माध्यम से बलात्कार की सजा को ज्यादा कठोर कर दिया है। कानून में संशोधन को प्रभावी रूप से जमीनी स्तर पर लागू किया जाना सुनिश्चित करने के लिए एमएचए द्वारा कई कदम उठाए गए हैं और उनकी प्रगति की लगातार निगरानी की जा रही है। इनमें यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (आईटीएसएसओ), यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ), सीआरआई-एमएसी (क्राइम मल्टी-एजेंसी केन्द्र) और नई नागरिक सेवाएं शामिल हैं। आईटी से जुड़ी इन पहलों से समयबद्ध और प्रभावी जांच में सहायता मिलती है। गृह मंत्री श्री अमित शाह ने सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों से इन ऑनलाइन टूल्स के प्रभावी उपयोग के लिए बलपूर्वक सिफारिश की है।
आईटीएसएसओ और एनडीएसओ
यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (आईटीएसएसओ) एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक साधन है, जिसे यौन हमलों के मामलों में पुलिस जांच की निगरानी और समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने (आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत वर्तमान में यह दो महीने है) के लिए लॉन्च किया गया है। वहीं, यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ) को बार-बार अपराध करने वालों की पहचान करने और साथ ही जांच में यौन अपराधियों पर अलर्ट हासिल करने के लिए पेश किया गया है।आपराधिक मामलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्यों को सहूलियत देने के कदम के रूप में एक स्थगन चेतावनी मॉड्यूल भी विकसित किया गया है। इसके तहत, जब भी एक सरकारी वकील किसी आपराधिक मामले में दो बार से ज्यादा स्थगन की मांग करता है, तो इस प्रणाली में अपरिहार्य देरी से बचने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को अलर्ट भेजने का एक प्रावधान है।
सीआरआई-एमएसी
क्राइम मल्टी एजेंसी केन्द्र (सीआरआई-एमएसी) को राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के पुलिस थानों और मुख्य कार्यालयों को घृणित अपराधों और अंतर राज्यीय अपराध के मामलों में सामंजस्य से संबंधित अन्य मुद्दों से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए 12 मार्च, 2020 को पेश किया गया है। इसे राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को ईमेल/एसएमएस के माध्यम से अपराध और अंतर राज्यीय अपराधों के अलर्ट या संबंधित जानकारियां भेजने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
नई नागरिक सेवाएं
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों के लिए अपने पोर्टल digitalpolicecitizenservice.gov.in पर नई नागरिक सेवाएं लॉन्च की हैं। इन सेवाओं में ‘गुमशुदा लोगों की खोज’ जैसे कार्य शामिल हैं, जिससे नागरिकों को खोजे गए अज्ञात लोगों/ अज्ञात मृतकों के राष्ट्रीय डाटाबेस से अपने लापता परिजनों को खोजने में मदद मिलती है।इसके अलावा ‘घोषित अपराधियों’ से जुड़ी एक अन्य सेवा है, जिससे नागरिकों को घोषित अपराधियों से जुड़ी ऑनलाइन जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है।
महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों की रोकथाम
एमएचए का महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम पर मुख्य जोर है। वर्तमान में, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित 14 राज्यों ने साइबर फॉरेंसिक ट्रेनिंग लैबोरेटरी की स्थापना कर ली है। 13295 पुलिस कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की पहचान, पता लगाने और समाधान में प्रशिक्षण दिया गया है। गृह मंत्रालय ने एक पोर्टल http://www.cybercrime.gov.in भी लॉन्च किया है, जिस पर नागरिक अश्लील कंटेंट की सूचना दे सकते हैं और उसे 72 घंटों के भीतर ब्लॉक कराया जा सकता है। एमएचए द्वारा सुधार के साथ इस पोर्टल को 30 अगस्त, 2019 को लॉन्च किया गया है।
SOURCE-PIB
सना
सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने ईरान समर्थित विद्रोहियों द्वारा भेजे गए 10 ड्रोनों को रोकने के बाद यमन की हौथी-नियंत्रित राजधानी सना/Sanaʽa पर हवाई हमले किए।
सना, यमन का सबसे बड़ा शहर है।यमनी संविधान के तहत, सना देश की राजधानी है, हालांकि यमनी सरकार की सीट अदन में स्थित है। सना हौथी के कब्जे में है।अदन को मार्च 2015 में राष्ट्रपति अब्दरब्बह मंसूर हादी द्वारा अस्थायी राजधानी घोषित किया गया था।
यह जबल एन-नबी शुऐब/Jabal An-Nabi Shu’ayb और जबल तियाल/Jabal Tiyal के सरवत पर्वत के बगल में स्थित है, जिन्हें इस देश के सबसे ऊंचे पहाड़ माना जाता है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, सना के पुराने शहर में एक विशिष्ट वास्तुशिल्प चरित्र है, जो ज्यामितीय पैटर्न से सजाए गए अपने बहुमंजिला भवनों में विशेष रूप से व्यक्त किया गया है।
SOURCE –THE HINDU
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
इसका आयोजन कैसे शुरू हुआ
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन एक श्रम आंदोलन था, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सालाना आयोजन के तौर पर स्वीकृति दी। इस आयोजन की शुरुआत का बीज 1908 में तब पड़ा, जब न्यूयॉर्क शहर में 15 हज़ार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की माँग के साथ विरोध प्रदर्शन निकाला था।
इसके एक साल बाद अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की। लेकिन इस दिन को अंतरराष्ट्रीय बनाने का विचार क्लारा जेटकिन नाम की महिला के दिमाग़ में आया था। उन्होंने अपना ये आइडिया 1910 में कॉपेनहेगन में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ़ वर्किंग वीमेन में दिया था।
इस कांफ्रेंस में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि हिस्सा ले रही थीं, इन सबने क्लारा के सुझाव का स्वागत किया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड में बनाया गया। इसका शताब्दी आयोजन 2011 में मनाया गया था, इस लिहाज़ से 2021 में दुनिया 110वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगी।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे मनाने की शुरुआत 1975 में तब हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने इस आयोजन को मनाना शुरू किया। संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में पहली बार इसके आयोजन में एक थीम को अपनाया, वह थीम थी – ‘अतीत का जश्न मनाओ, भविष्य की योजना बनाओ।’
महिलाएं समाज में, राजनीति में और अर्थशास्त्र में कहाँ तक पहुँची हैं, इसके जश्न के तौर पर इंटरनेशनल वीमेंस डे का आयोजन होता है, लेकिन इस आयोजन के केंद्र में प्रदर्शन की अहमियत रही है, लिहाज़ा महिलाओं के साथ होने वाली असमानताओं को लेकर ज़ागरूकता बढ़ाने के लिए विरोध प्रदर्शन का आयोजन भी होता है।
इंटरनेशनल वीमेंस डे कब मनाया जाता है?
इसका आयोजन 8 मार्च को होता है। क्लारा ने जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आइडिया दिया था, तब उन्होंने किसी ख़ास दिन का जिक्र नहीं किया था। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किस दिन हो, 1917 तक इसकी कोई स्पष्टता नहीं थी।
साल 1917 में रूस की महिलाओं ने रोटी और शांति की माँग के साथ चार दिनों का विरोध प्रदर्शन किया था। तत्कालीन रूसी ज़ार को सत्ता त्यागनी पड़ी और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी दिया।
जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक़, 23 फ़रवरी और रविवार का दिन था।
यही दिन ग्रेगॉरियन कैलेंडर के मुताबिक़, आठ मार्च था और तब से इसी दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।
बैंगनी, हरा और सफेद – ये तीनों इंटरनेशनल वीमेंस डे के रंग हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैंपेन के मुताबिक़, “बैंगनी रंग न्याय और गरिमा का सूचक है। हरा रंग उम्मीद का रंग है। सफ़ेद रंग को शुद्धता का सूचक माना गया है। ये तीनों रंग 1908 में ब्रिटेन की वीमेंस सोशल एंड पॉलिटिकल यूनियन (डब्ल्यूएसपीयू) ने तय किए थे।”
रूस सहित दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। रूस में आठ मार्च के आसपास तीन चार दिनों में फूलों की बिक्री दोगुनी हो जाती है। चीन में स्टेट काउंसिल की सलाह के मुताबिक़, आठ मार्च को महिलाओं को आधे दिन की छुट्टी मिलती है, हालांकि सभी नियोक्ता इसका ठीक से पालन नहीं करते हैं।
इटली में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर लोग एक दूसरे को छुई-मुई का फूल देते हैं। इस परंपरा के शुरु होने की वजह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रोम में इस चलन की शुरुआत हुई।
अमेरिका में ‘मार्च’ महिला इतिहास का महीना होता है। हर साल जारी होने वाली घोषणा के ज़रिए राष्ट्रपति अमेरिकी महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करते हैं। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा वर्चुअल आयोजन होने की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021
इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है – #ChooseToChallenge. यह थीम इस विचार से चुना गया है कि बदलती हुई दुनिया एक चुनौतीपूर्ण दुनिया है और व्यक्तिगत तौर पर हम सब अपने विचार और कार्य के लिए ज़िम्मेदार हैं। अभियान में कहा गया है कि “हम सब लैंगिक भेदभाव और असमानता को चुनौती दे सकते हैं। हम सब महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मना सकते हैं। सामूहिक रूप से, हम सब एक समावेशी दुनिया बनाने में योगदान दे सकते हैं। “लोगों से पूछा जा रहा है कि क्या वे असमानता दूर करके बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हमें इस आयोजन की ज़रूरत क्यों है?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ने अपने अभियान में कहा कि “एक शताब्दी के बाद भी हम लोग लैंगिक समानता हासिल नहीं कर सके हैं। हम लोग अपने जीवन में लैंगिक समानता नहीं देख पाएंगे और ना ही हमारे बच्चों में कई इसे देख पाएंगे।”
इतना ही नहीं, यूएन वीमेन के हाल के आंकड़ों के मुताबिक़, कोरोना संक्रमण के चलते वह सब ख़त्म हो सकता है जो लैंगिक समानता की लड़ाई में पिछले 25 सालों में हासिल किया गया था। कोरोना महामारी के चलते महिलाएं ज़्यादातर घरेलू काम कर रही हैं और इसका असर नौकरियों और शिक्षा के अवसरों पर भी दिखेगा।
हालांकि, कोरोना संक्रमण के बाद भी इंटरनेशनल वीमेंस डे-2020 के दौरान कई प्रदर्शन देखने को मिले थे। इनमें से ज़्यादातर प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे। लेकिन किरगिज़ की राजधानी बिशकेक में पुलिस ने दर्जनों महिला कार्यकर्ताओं को तब गिरफ़्तार कर लिया था, जब प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर नकाबपोश पुरुषों ने हमला किया था।
देश की महिला कार्यकर्ताओं का मानना है कि महिला अधिकारों की स्थिति पहले से ख़राब हो रही है। हिंसक धमकी और क़ानूनी मामलों के बाद भी पाकिस्तान के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे।
मेक्सिको में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए 80 हज़ार से ज़्यादा लोग प्रदर्शन में शामिल हुए थे लेकिन इनमें 60 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे। रैली शांतिपूर्ण ढंग से निकली थी, लेकिन पुलिसकर्मियों के मुताबिक़ पेट्रोल बम फेंके जाने के बाद उन्हें टियर गैस चलाने पड़े।
पिछले कुछ सालों में महिला आंदोलन की स्थिति लगातार बेहतर हुई है। इस साल अमेरिका में कमला हैरिस के तौर पर पहली काली और एशियाई मूल की महिला उप-राष्ट्रपति के पद तक पहुँची हैं। साल 2019 में फ़िनलैंड में नई गठबंधन सरकार चुनी गई, जिनका नेतृत्व पाँच महिलाओं के हाथों में है।
वहीं उत्तरी आयरलैंड में गर्भपात को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया गया। इसके अलावा सूडान में सार्वजनिक जगहों पर महिलाएं कैसे कपड़ें पहनें, इसको लेकर बनाये गए क़ानून को वापस लेना पड़ा।
इसके अलावा इस दौरान #MeToo अभियान का असर भी देखने को मिला। इसकी शुरुआत 2017 में हुई जिसके तहत महिलाओं ने इस हैशटैग के साथ सोशल मीडिया में उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू किया था।
अब इसका चलन दुनिया भर में बढ़ा है, जो यह बता रहा है कि अस्वीकार्य और अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इन मामलों में कई हाई प्रोफ़ाइल लोगों को सजा मिली है।
SOURCE-BBC NEWS
एयरबैग
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइवर के बगल में एक वाहन की अगली सीट पर बैठे यात्रियों के लिए एक एयरबैग के अनिवार्य प्रावधान के बारे में राजपत्र अधिसूचना जारी की है।
एयरबैग क्या हैं?
टकराव के दौरान यात्री और कार के डैशबोर्ड के बीच एक एयरबैग एक सुरक्षा कुशन के रूप में पॉप अप होता है। गंभीर ललाट दुर्घटनाओं के लिए, वाहन में कठिन संरचनाओं से संपर्क करने से किसी व्यक्ति के सिर और छाती को रोकने के लिए सामने एयरबैग को फुलाया जाता है।
इस निर्णय के निहितार्थ
विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया के सभी सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों का 10% हिस्सा है।
ऐसे देश में जहां हर दिन 415 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं, एक एयरबैग सचमुच एक जीवन रक्षक हो सकता है।
ऑटोमोबाइल में कुछ अन्य सुरक्षा विशेषताएं हैं:
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS)
स्पीड अलर्ट सिस्टम
पार्किंग सेंसर उल्टा
ड्राइवर और यात्री सीट बेल्ट अनुस्मारक
केंद्रीय लॉकिंग सिस्टम के लिए मैनुअल ओवरराइड
SOURCE-INDIAN EXPRESS
मध्य प्रदेश : सिंगोरगढ़ किले
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 7 मार्च, 2021 को मध्य प्रदेश में दमोह जिले के सिंगरामपुर गाँव में सिंगोरगढ़ किले के संरक्षण कार्यों की आधारशिला रखीइस अवसर पर, राष्ट्रपति ने प्रतिभाशाली आदिवासी छात्रों को शंकर शाह और रानी दुर्गावती पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
सिंगोरगढ़ किला
यह मध्य प्रदेश राज्य में दमोह जिले में स्थित है। यह गढ़ साम्राज्य का पहाड़ी किला है। यह किला वनाच्छादित क्षेत्र की पहाड़ियों पर फैला हुआ है। यह जबलपुर शहर से 45 किमी की दूरी पर स्थित है। वर्तमान में यह किला एक खंडहर की स्थिति में है जिसके लिए संरक्षण कार्य शुरू किया गया है। इस किले में पहाड़ी पर एक तालाब भी है जो पानी उपलब्ध कराता था। वर्ष 1564 में रानी दुर्गावती के शासन के तहत, गढ़ साम्राज्य के अंतिम युद्ध में इस किले पर हमला किया गया था।
गोंडवाना साम्राज्य
यह भारत के गोंडवाना क्षेत्र में एक राज्य था। इस क्षेत्र में विदर्भ (महाराष्ट्र) के पूर्वी भाग का मुख्य क्षेत्र, मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा और छत्तीसगढ़ के पश्चिम का हिस्सा शामिल है। इसमें पश्चिमी ओडिशा, उत्तरी तेलंगाना और दक्षिणी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से भी शामिल हैं।
SOURCE-DANIK JAGARAN