UPSC Preliminary Exam Tips – जानिये क्या है, प्रारम्भिक परीक्षा में स्कोर करने की नीति

इस पेपर में वस्तुनिष्ठ किस्म के कुल 100 प्रश्न पूछे जाते हैं. इसके लिए 120 मिनट का समय होता है.
नई दिल्ली. सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा के परिणाम ज्यादातर युवाओं को निराश ही करते हैं. यदि पाँच लाख लोगों में से केवल दस हजार के ही चेहरों पर हँसी आनी हो, तो उसे उत्सवधर्मी कैसे कहा जा सकता है.
प्रारम्भिक परीक्षा में स्कोर करने की क्या है नीति, पढ़ें डिटेल
सफल होने वाली परीक्षार्थियों से बातचीत के आधार पर
परीक्षा में सफल होने वाली परीक्षार्थियों से बातचीत के आधार पर यह धारणा बन रही है कि कटऑफ मार्क्स लगभग 45 प्रतिशत के आसपास होना चाहिए. वैसे यदि ऊपरी तौर पर 45 प्रतिशत में सिलेक्शन के बारे में सोचें, तो यह बहुत कठिन मालूम नहीं पड़ता. लेकिन जब इसी स्कोर को पाठ्यक्रम और परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्तर से जोड़कर देखते हैं, तो यह अपने-आपमें एक टेढ़ी खीर सा लगने लगता है. फिर भी आखिर दस हजार परीक्षार्थी तो ऐसे होते ही हैं, जो इस टारगेट तक पहुँच जाते हैं.
निराशा के दौर से गुजर रहे परीक्षार्थियों के लिए
यहाँ मैं खासकर उन परीक्षार्थियों के लिए एक सामान्य-सा फार्मूला पेश कर रहा हूँ, जो फिलहाल निराशा के दौर से गुजर रहे होंगे. मेरा यह फार्मूला उन्हें दो तरीके से लाभ पहुँचा सकता है. पहला यह कि इससे उन्हें शायद यह अहसास हो कि अगले साल जून में होने वाली प्रारम्भिक परीक्षा में वे सफल हो जाएंगे. दूसरी बात यह कि इस फामूले से शायद उन्हें अपनी तैयारी के लिए एक दिशा-निर्देश भी मिल सके. मेरा यह फार्मूला इस परीक्षा के सामान्य ज्ञान के प्रथम प्रश्न-पत्र के लिए है.
पेपर में वस्तुनिष्ठ किस्म के कुल 100 प्रश्न
इस पेपर में वस्तुनिष्ठ किस्म के कुल 100 प्रश्न पूछे जाते हैं. इसके लिए 120 मिनट का समय होता है. और जैसा कि मैं ऊपर बता चुका हूँ, इन 200 मार्क्स में 90 मार्क्स प्राप्त करने होते हैं. मैं यह फार्मूला इस साल के पेपर के अपने अनुभव के आधार पर पेश कर रहा हूँ; लेकिन स्वयं को एक बहुत ही औसत दर्जे का विद्यार्थी बनाकर. आईए, इसे देखते हैं.
पेपर का तजुर्बा
पेपर को पढ़ने के बाद मन में गहरी निराशा का भाव पैदा होने लगा. लेकिन कुछ न कुछ तो करना ही था. इसलिए हिम्मत नहीं हारी और दो घंटे का भरपूर इस्तेमाल करने में जुट गया. जो प्रश्न मेरे बिल्कुल पल्ले ही नहीं पड़े, उनमें समय खपाने का कोई अर्थ नहीं रह गया था. ऐसे लगभग 20 प्रश्न थे. इन्हें मैंने ऊपरी तौर पर सामान्य-सा पढ़कर बिल्कुल छोड़ दिया.
भ्रम पैदा करने वाले प्रश्नों को छोड़ देने में अपनी भलाई
अब मेरे सामने दूसरी श्रेणी के प्रश्न थे. ये वे प्रश्न थे, जो एकदम अनजाने तो नहीं थे, लेकिन इनके जो विकल्प दिए गये थे, वे बहुत ही ज्यादा भ्रम पैदा कर रहे थे. मुझे नहीं लग रहा था कि मैं अपने-आपको इस भूल-भुलैया से निकाल पाऊंगा. इसलिए मैंने ऐसे प्रश्नों को भी छोड़ देने में ही अपनी भलाई. समझी ऐसे प्रश्नों की संख्या लगभग 20 के आसपास ही थी. इस प्रकार कुल 40 प्रश्न ऐसे हो गए, जो मेरी पहुँच से बिल्कुल बाहर के थे.
सारी मेहनत इन 60 प्रश्नों तक रखी
अब मैंने अपनी सारी मेहनत इन 60 प्रश्नों तक रख्ने की ठानी. चूँकि मेरी तैयारी ठीक-ठाक थी ,इसलिए मुझे 40 प्रश्न ऐसे तो मिल ही गए, जिन्हें मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ सही-सही हल कर सका. मैं जैसे ही प्रश्न पढ़ता था, मेरा दिमाग उसके सही उत्तर तक पहुँचा देता था.
थ्योरी ऑफ प्रॉबेबलिटी के हिसाब से
अब बचे हुए 20 प्रश्नों में 10 प्रश्न ऐसे थे, जिनके दो उत्तरों के बारे मुझे भ्रम था. इस प्रकार थ्योरी ऑफ प्रॉबेबलिटी के हिसाब से चूँकि सही होने की संभावना 50 प्रतिशत थी, इसलिए मैंने इन्हें हल करने का निर्णय लिया. इस प्रकार से 10 में से मेरे 5 प्रश्न सही हो गए और मेरा स्कोर पहुँच गया 45 सही उत्तर तक. इस परीक्षा में ऋणात्मक मूल्यांकन होता है. एक प्रश्न गलत होने पर उसके कुल प्रश्नों में से एक तिहाई मार्क्स काट लिए जाते हैं. मैं मानकर चल रहा हूँ कि मेरे 5 प्रश्न पहले ही गलत हो चुके हैं.
थ्योरी के हिसाब से तीन प्रश्नों में से एक के सही होने की संभावना
अब जो मेरे पास 10 प्रश्न बचे हुए थे, उनमें से तीन विकल्पों में मुझे भ्रम हो रहा था. लेकिन यहाँ भी थ्योरी ऑफ प्रॉबेबिलिटी के हिसाब से तीन प्रश्नों में से एक के सही होने की संभावना थी. इसलिए मैंने इन दसों प्रश्नों पर अपेक्षाकृत थोड़ा अधिक समय लगाकर इन्हें हल किया. मैं मानकर चल रहा हूँ कि इनमें से मेरे तीन या चार सही हुए होंगे और बाकी गलत.